शनिवार, 17 नवंबर 2018

॥ श्रीसर्वेश्वर--स्वरूप ॥


हंस रूप भगवान ने, धर्यो सर्वेश्वर रूप । 
राधासर्वेश्वरशरण, चक्र--स्वरूप अनूप ॥१ ॥ 
सनकादिक सेवित सदा, श्रीसर्वेश्वर नाम । 
राधासर्वेश्वरशरण, प्रतिपल कोटि प्रणाम ॥२॥ 
शालग्राम स्वरूप हैं, सर्वेश्वर प्रिय रूप । 
राधासर्वेश्वरशरण, नमन करें सुरभूप ।३॥ 
श्रीसर्वेश्वर भजन हो, प्रतिपल पावन ध्यान । 
राधासर्वेश्वरशरण, वेद-पुराण विधान ॥८॥ 
तब ही सर्वेश्वर कृपा, जब हो दैन्य स्वरूप । 
राधासर्वेश्वरशरण, प्रणशत यह भव कूप ॥५॥ 
रसना सर्वेश्वर प्रभू, रटती प्रतिपल नाम । 
राधासर्वेश्वरशरण, जीवन शुभ परिणाम ।६॥ 
जो सर्वेश्वर अविरल भजे, छांड जगत की आश । 
राधासर्वेश्वरशरण, उसके हृदय प्रकाश ॥७॥ 
भव सागर अति गहन है, झंझावत अनेक । 
राधासर्वेश्वरशरण, रखे सर्वेश्वर टेक ॥८॥



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